
Great Scientist Alfred Nobel and Nobel Prize
Alfred Nobel विज्ञान, साहित्य और शांति के लिए उनके नाम पर दी जाने वाली वार्षिक पुरस्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं. Nobel Prize को आज के समय में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार की संज्ञा दी जाती है. इसलिए इस महान वैज्ञानिक के बारे में चर्चा करना आवश्यक है.
हालाँकि Alfred Nobel एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे जहाँ उनके परिवार के अन्य सदस्य रचनात्मक और उद्यमशील कार्य करते थे. उन्होंने सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की.
अल्फ्रेड ने डायनामाइट, ब्लास्टिंग कैप, जिलेनाइट, और बैलिस्टाइट का आविष्कार और निर्माण किया. वह अपने विस्फोटकों के कारोबार में अविश्वसनीय रूप से समृद्ध हो गए.
अल्फ्रेड नोबेल की जीवनी | Alfred Nobel biography
अल्फ्रेड नोबेल का पूरा नाम अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल [Alfred Bernhard Nobel] था और नोबेल का जन्म स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में 21 अक्टूबर, 1833 को हुआ था.
उनके पिता इम्मानुएल नोबेल [Immanuel Nobel] एक स्व-निर्मित इंजीनियर, आविष्कारक और उद्यमी थे, जिन्हें केवल 14 साल की उम्र में औपचारिक रूप से स्कूली शिक्षा मिली थी.
यद्यपि उनके पिता इमैनुएल नोबेल का व्यवसाय बहुत समृद्ध था. किन्तु अल्फ्रेड के जन्म होने तक उनके पिता दिवालिया [Bankrupt] हो चुके थे और परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था.
जब अल्फ्रेड चार साल के थे तब उसके पिता ने व्यवसाय के सिलसिले में स्वीडन छोड़कर फिनलैंड चलें गए. अल्फ्रेड के दादा ने अल्फ्रेड की मां को एक छोटे से किराने की दुकान शुरू करने के लिए पैसे दिए, जिसमें वह सुबह से देर रात तक काम करती थी.
सात साल की उम्र में अल्फ्रेड ने स्कूल शुरू किया. गरीब बच्चों के लिए एक जैकोबस पैरिश एपोलॉजिस्ट नामक स्कूल था जहाँ स्कूल के छात्र और शिक्षक बेहद कठिन और निष्ठुर थे.
खेल के मैदान में अक्सर झगड़े होते थे साथ ही अधिकांश विद्यार्थियों को उनके शिक्षकों द्वारा किसी भी छोटी गलतियों के लिए हर दिन पीटा जाता था.
इसके बावजूद अल्फ्रेड ने अपने स्कूल शिक्षा में अच्छा कार्य किया, जिससे उनके पिता को उनके अनुपस्थित पर गर्व हुआ.
रूस की यात्रा | Alfred Nobel’s Russia Journey
उधर रूस में Alfred Nobel के पिता इमैनुएल भी अच्छा व्यवसाय कर रहे थे, जहाँ वह रूस की सेना के लिए हथियार बनाने वाली एक कंपनी खड़ी कर चुके थे. अब उनके पास पैसे के साथ-साथ एक लोहे के ढलाई करने वाली कारखाने के मालिक बन चुके थे.
सन् 1842 के अंत तक उन्होंने अपने परिवार को रूस में आकर साथ रहने के लिए कहा. तब अल्फ्रेड की उम्र मात्र नौ साल थी जब वह रूस की राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग के लिए रवाना हुए. उन्हें धाराप्रवाह रूसी भाषा सीखने के लिए सिर्फ एक साल लगा.
स्कूल जाने के बजाय, इमैनुएल के बच्चों को निजी ट्यूटर्स द्वारा पढ़ाया जाता था. इमैनुअल एक मजबूत प्रतिवाद करने वाले वकील में से एक थे.
इमैनुएल अपने बच्चों को सिखाया कि वे कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ अपने भविष्य की समृद्धि को आकार दे सकते हैं. अपने बच्चों को हर दिन लंबे समय तक काम करने का आदेश दिया.
कुछ बच्चों को यह तरीका दमनकारी लगा लेकिन अल्फ्रेड समृद्ध हुए. वह हमेशा सीखना पसंद करते थे जिससे वह अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन आदि भाषाओँ को धाराप्रवाह बोल सकते थे. उनके ट्यूटर्स योग्य और उच्चतम गुणवत्ता के थे. रसायन विज्ञान उनका पसंदीदा विषय था.
इस बीच, इमैनुअल का कारोबार तेजी से बढ़ रहा था और वह हथियारों की एक विस्तृत सीमा बना रहा था.
यूरोपीय और अमेरिकी यात्रा | European and US Tour
16 साल की उम्र में, Alfred Nobel ने एक लेखक बनने पर विचार किया. अंग्रेजी भाषा में निपुण होने के बाद, वह शेक्सपियर के नाटकों के बहुत बड़े प्रशंसक बन गए थे और उन्होंने पर्सी शेली से प्रभावित कविता लिखना भी शुरू कर दिया था.
नि:संदेह अल्फ्रेड के पिता ने अच्छे साहित्य के महत्व की सराहना की, लेकिन वे नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इस रास्ते पर चले.
पिता के कहने पर उन्होंने अपनी साहित्यिक आकांक्षाओं को त्याग दिया और पिता द्वारा समृद्ध व्यापार में ध्यान केंद्रित किया. इस व्यापार के सिलसिले में वह यूरोप और अमेरिका की यात्रा करने का अवसर मिला.
19 वर्ष की आयु तक अल्फ्रेड पेरिस और न्यूयॉर्क के विभिन्न व्यावसायिक प्रयोगशालाओं और कारखानों में समय बिताया. तत्पश्चात वे सन् 1852 में रूस लौटे, तब तक इनके कम्पनी में कर्मचारियों की संख्या लगभग 1,000 हो गई थी.
अल्फ्रेड का स्वास्थ्य एवं वित्तीय परेशानी | Nobel’s Health and Financial Trouble
रूस से लौटे अल्फ्रेड ने निरंतर कड़ी मेहनत की जिसकी वजह से समय-समय पर उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था. 25 के उम्र तक परिवार का व्यवसाय गंभीर संकट से गुजरा था.
सन् 1856 में क्रीमिया युद्ध में रूस की हार के बाद, रुसी सरकार ने अपने बिलों का भुगतान करना बंद कर दिया.
क्रीमियन युद्ध के दौरान, इमैनुएल ने एक नए विस्फोटक के आधार पर हथियारों को विकसित करने का प्रयास किया था. जिसमें वह असफल रहे.
इस विस्फोटक को नाइट्रोग्लिसरीन कहा जाता था जो कि बारूद की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली था लेकिन इस पदार्थ को विस्फोट करना मुश्किल साबित हो रहा था.
पेरिस दौरे में Alfred Nobel ने नाइट्रोग्लिसरीन के बारे असकैनियो सोबेरो [Ascanio Sobrero] से बहुत कुछ सीखा था, जो कि इसे सबसे पहले बनाने वाले रसायनज्ञ थे. वह कुछ साल बाद अल्फ्रेड के साथ प्रयोग करने के लिए आ गए थे.
रूसी सरकार से हुए व्यापार की क्षति के बाद अल्फ्रेड के माता-पिता थोड़े से पैसे लेकर स्वीडन वापिस लौट आए. अल्फ्रेड और उनके भाई रॉबर्ट सेंट पीटर्सबर्ग में एक अपार्टमेंट साझा करते हुए रूस में रहे.
अपार्टमेंट के रसोई में ही अल्फ्रेड ने एक प्रयोगशाला स्थापित की और आविष्कारों पर काम करना शुरू किया. सन् 1862 में, 29 वर्ष की आयु में, उन्होंने पता लगाया कि नाइट्रोग्लिसरीन के कुछ मिश्रणों को बारूद के साथ मिश्रित करके विश्वसनीय विस्फोट किया जा सकता है.
उनके बड़े भाइयों रॉबर्ट और लुडविग ने बड़े पैमाने पर परीक्षण में उनकी मदद की और सेंट पीटर्सबर्ग के बाहर एक जमे हुए नहर पर बड़े विस्फोट किए.
अल्फ्रेड नोबेल की उपलब्धियां | Alfred Nobel’s Achievements
नाइट्रोग्लिसरीन | Alfred Nobel Nitroglycerin story
1863 की शुरुआत में, नोबेल रूस से अपने गृह नगर स्टॉकहोम लौट आए. उनके पिता ने Alfred Nobel के लिए हेलेनबर्ग शहर के बाहर एक छोटी औद्योगिक साइट पर एक प्रयोगशाला स्थापित की जहाँ प्रयोग का दौर शुरू हुआ.
व्यक्तिगत रूप उन्होंने रोजाना 18 घंटे काम करके सैकड़ों प्रयोग किए. प्रायोगिक तौर पे थोड़ी मात्रा में बारूद के साथ नाइट्रोग्लिसरीन का विस्फोट करना सीखने के बाद 1863 के अंत में नाइट्रोग्लिसरीन का उत्पादन शुरू किया.
व्यवसायिक दृष्टीकोण से सन् 1864 की गर्मियों में महत्वपूर्ण उत्पादन शुरू हुआ. इसी दौरान सितंबर 1864 में नोबेल का छोटा भाई एमिल तथा तीन अन्य लोग की कारखाने में हादसे के वजह से मृत्यु हो गई.
हालांकि वह मौतों को लेकर काफी परेशान थे, लेकिन नोबेल ने नाइट्रोग्लिसरीन का उत्पादन जारी रखा. विस्फोटक की मांग इतनी अधिक थी कि 1870 के दशक की शुरुआत में नोबेल ने उत्पादन इकाई को बढ़ा दिया.
नाइट्रोग्लिसरीन युक्त विस्फोटक के अविष्कार की सफलता के बाद नोबेल ने विदेशी पेटेंट कार्यालयों के चक्कर में कई साल बिताए. उनके आविष्कार से कई लोगों ने लाभ उठाने की कोशिश की.
ब्लास्टिंग कैप डेटोनेटर | The Blasting Cap Detonator
1864 में, नोबेल ने ब्लास्टिंग कैप का पेटेंट कराने में सफल रहे. उन्होंने विस्फोटकों को विस्फोट करने का सबसे अच्छा तरीका खोजने के लिए कई प्रयोग किए थे. फलस्वरूप ब्लास्टिंग कैप का आविष्कार किया.
विस्फोटकों को विस्फोट करने के लिए नोबेल की ब्लास्टिंग कैप की विविधता अभी भी पसंदीदा तरीका माना जाता है. वास्तव में, अगले 50 वर्षों तक उनके ब्लास्टिंग कैप आविष्कार का उपयोग बिना संशोधन के किया गया था.
बारूद | Alfred Nobel dynamite story
नवंबर 1863 में, Alfred Nobel ने कोयला जैसे पदार्थों के साथ नाइट्रोग्लिसरीन मिलाया और एक बहुत शक्तिशाली और स्थिर विस्फोटक का उत्पादन किया, जिससे एक शक्तिशाली विस्फोट किया जा सकता था.
जनवरी 1864 में, उन्होंने इस मिश्रण के लिए स्वीडिश पेटेंट के लिए आवेदन करके छोड़ दिया क्योंकि वह नाइट्रोग्लिसरीन बनाने और बेचने के साथ ही पेटेंट विवादों से लड़ने में बहुत व्यस्त थे.
जैसा कि उन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन से होने वाली कई दुर्घटनाओं को देखा, नोबेल ने नाइट्रोग्लिसरीन और कोयला जैसे झरझरा पदार्थों के साथ अपने प्रयोगों में वापस लौट आए. इन प्रयोगों के परिणामस्वरूप ही डायनामाइट का अविष्कार हुआ.
जेलिग्नाइट | Invention of Gelignite
आविष्कारों की इस कड़ी में सन् 1866 में नोबेल ने पहली बार विस्फोटक जेल बनाने की कोशिश की. अथक प्रयासों के बाद वह अंततः 1875 में सफल हुए. जिलेटिन को जिलेटिनाइज्ड ग्लिसरॉल और नाइट्रोसेल्यूलोज से मिलाकर बनाया गया.
जेलिग्नाइट डायनामाइट से बेहतर और अधिक शक्तिशाली था जिसे पानी के नीचे भी इस्तेमाल किया जा सकता था साथ ही रखरखाव के दृष्टीकोण से बहुत सुरक्षित भी था.
इसका आविष्कार नोबेल के लिए एक अन्य महानतम व्यावसायिक सफलता थी. गेलिग्नाइट डायनामाइट न सिर्फ अधिक महंगा था बल्कि इसकी निर्माण प्रक्रिया वास्तव में डायनामाइट की तुलना में अधिक खतरनाक थी.
बैलिस्टाइट | Ballistite
पेरिस में रहते हुए नोबेल ने बैलिस्टाइट का आविष्कार किया. उन्होंने 1887 में ब्रिटेन और 1891 में संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे इस्तेमाल करने के लिए एक धुआरहित प्रणोदक [smokeless propellant] को पेटेंट कराया.
गोलियों और तोपखाने के गोले में इसका अच्छा उदाहरण है. इसे भी नाइट्रोसेल्यूलोज और नाइट्रोग्लिसरीन का उपयोग करके बनाया गया था.
नोबल पुरस्कार | Why is Nobel prize given
पुरे जीवनकाल में नोबेल एक आंतरिक मनोस्थिति से हमेशा संघर्ष करते थे. उन्होंने खुद को एक ईमानदार, मेहनती वैज्ञानिक, आविष्कारक और व्यवसायी के रूप में देखा.
उन्होंने अपनी बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति को हमेशा याद किया और गरीबों की मदद के लिए अपना बहुत सारा पैसा दिया.
हथियारों और विस्फोटक के आविष्कार से वह बड़ी मात्रा में पैसा बनाने के कामयाब रहे. वह जानते थे कि उसे कई लोगों द्वारा खलनायक के रूप में माना जाता है.
चूँकि नोबेल ने विध्वंशकारी चीजों का आविष्कार किया जिससे एक तरफ समाज की सुरक्षा तो होती थी किन्तु दूसरी ओर कहीं न कहीं यह घातक भी था. इन्ही सब मानसिक विचारों के कारण उन्होंने समाज के उत्थान के बारे में सोचा.
अपनी विभिन्न अविष्कारों से अर्जित भारी संपत्ति में से 94 प्रतिशत हिस्से को पांच विषयों के अंतर्गत सर्वश्रेष्ट कार्य करने वाले लोगों को वार्षिक पुरस्कार देने की घोषणा की. जिसमें निम्नलिखित है:
- रसायन विज्ञान
- भौतिक विज्ञान
- चिकित्सा विज्ञान या शरीर विज्ञान
- साहित्य
- शांति व समाज के लिए कार्य.
अंतिम दिनों में | At last day's of his life
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, नोबेल हृदय रोग से पीड़ित थे जहाँ 63 वर्ष की आयु में 10 दिसंबर, 1896 को एक हृदयघात के बाद सैन रेमो [San Remo] में निधन हो गया.
उनका द्वारा अर्जित पूंजी का अधिकांश भाग नोबेल पुरस्कारों के लिए गया था जैसा वो चाहते थे. उन्हें विरासत में मिली दौलत मंजूर नहीं थी तथा सभी संचित धन को कुछ लाभकारी तरीके से वापस समाज को देने के लिए स्वमेव प्रतिबद्ध थे.
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