
Paan Khane Ke Fayade Aur Side Effact : The Betel leaf
Betel leaf [पान] का वानस्पतिक नाम Piper betle है और यह Piperaceae परिवार का पौधा है. इसके पत्ते दिल के आकार के होते है और भारत में हर जगह आसानी से मिल जाते है.
पोषक तत्त्वों से भरपूर पान के पत्ते औषधीय दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है इसे पोषकतत्त्वों का पवारहाउस [Powerhouse of Nutrition] भी कहा जाता है. यह स्वाद में तीखा और सुगंधित होता है और इसे माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. पान खाने की परंपरा यहाँ सदियों पुरानी है. इस लेख में हम पान की औषधीय उपयोगिता पर प्रकाश डालेंगे. इन उपयोगिताओं के बारे आप पहले भी सुन चुके होंगे किन्तु उनका वैज्ञानिक आधार/तथ्य के बारे में जानेंगे.
भारत में पान का सेवन भीगे हुए चूने, कत्था तथा सुपारी के साथ तम्बाकू या उसके बिना करते है. साथ ही साथ पान का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों में भी किया जाता है. ऐसे कार्यों में पान का होना इसे शुभ माना जाता है.
पान का पोषकता मान | Nutritional Profile of Betel Leaf
प्रति 100 ग्रा. पान में निम्नलिखित पोषक मान पाया जाता है:
कैलोरी- 44 कि.कै.
नमी की मात्रा- 85.4%
प्रोटीन- 3.1%
खनिज- 2.3%
वसा-0.8%
फाइबर- 2.3%
विटामिन A 1.9-2.9 मि.ग्रा.
विटामिन B1- 13-70 माइक्रो ग्रा.
विटामिन B2- 1.9-30 मि.ग्रा.
निकोटिनिक एसिड 0.63-0.89 मि.ग्रा.
भारतीय संस्कृति में पान का महत्व | Importance of Betel Leaf in Indian Culture
जैसा कि बताया गया है पान की पत्तियां [Betel leaf] भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्हें मेहमानों को भेंट करना आतिथ्य का प्रतीक है माना जाता है. दरअसल भारतीय संस्कृति प्रकृति से गहरे तरीके से जुड़ी हुई है इसलिए यहाँ की किसी भी व्यावहारिक और धार्मिक कार्यों में इसकी झलक स्वत: ही दिखाई देती है.
बड़े पैमाने पर इन पत्तों को विभिन्न पारम्परिक भारतीय और गैर-भारतीय व्यंजनों में भी उपयोग किया जाता है. ये पत्ते डिनर मेनू का एक मुख्य हिस्सा है चाहे वह शादी समारोह हो या धार्मिक पूजा सभी जगह उपयोग किए जाते हैं.
आमतौर पर भारत में, Betel Leaves को “पान के पत्ते” के रूप में जाना जाता है और यह प्रतिदिन लगभग 15-20 मिलियन लोगों के द्वारा खाया जाता है. इसकी खेती भारत, श्रीलंका, मलेशिया, पूर्वी अफ्रीका, फिलीपीन द्वीप और इंडोनेशिया में की जाती है. यह भारत के प. बंगाल, उड़ीसा, बिहार और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है.

Health Benefits
ओरल हेल्थ में सुधार करता है | Betel leaf Improves Oral Health
हम सभी जानते है पान का उपयोग सबसे ज्यादा माउथ फ्रेशनर के तौर पर खाने के लिए करते है. सही तरीके से खाए गए पान से मुंह के दंत संक्रमण और दंत क्षय को प्रभावी तरीके से कम कर सकता है. यह मुंह में मौजूद रोगजनक को कम करता है.
अध्ययनों में पाया गया है कि पान की पत्तियां [Betel leaf] चबाने से बैक्टीरिया की वृद्धि और गतिविधि बाधित होती है. इसकी पत्तियाँ लार में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित एसिड को रोककर दांतों को क्षय से बचाती है.
खांसी कम करे | Helps to Reduce Cough
दादी-नानी के द्वारा यह अक्सर सुनने मिलता था की पान खाने से खांसी में राहत मिलता था. इनकी पत्तियां कफ को रोकने में मदद करती है साथ ही लगातार खांसी के कारण गले में होने वाली सूजन को कम करती है.
एंटी-डायबिटिक | For Anti-diabetic
एंटी-डायबिटिक की दवाओं का सेवन लंबे समय तक करने से लीवर और किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ता है. शोध में यह बात सामने आई है कि सूखे हुए पान के पाउडर में टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्तियों में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में सक्षम होती है.
कोलेस्ट्रॉल को करे कम | Decreased Cholesterol Levels
कोलेस्ट्रॉल की उच्च स्तर हृदय रोग और स्ट्रोक के लिए एक जोखिम कारक है. अध्ययनों में पाया गया है कि पान कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर को कम करने में मदद करती है. इसके अलावा, यह उच्च-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है।
यूजेनॉल Betel leaf में उपस्थित एक ऐसा घटक है जो लिपिड को कम करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है, एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट है.
एंटी-अस्थमा एजेंट | Used as Anti-asthmatic Agent
अस्थमा के लिए हिस्टामाइन एक प्रमुख भूमिका निभाता है. हिस्टामाइन एक इन्फ्लामेट्री कारक है जिसे पान में उपस्थित एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री गुण आसानी से कम करने में मदद करता है.
शोध में पाया गया है कि पान की एंटी-हिस्टामिनिक गतिविधि ब्रोन्कियल अस्थमा के मामलों को कम करने में एक प्रेरक एजेंट की तरह कार्य करती है.
एंटी कैंसर एजेंट | Anti-cancer Agent
तंबाकू और सुपारी के साथ पान का सेवन करने पर मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ाता अधिक होता है. इसलिए पान का उपभोग कैंसरकारक तत्वों के बिना ही करनी चाहिए.
यह फेनोलिक यौगिकों का भंडार है जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-म्यूटाजेनिक, एंटी-प्रोलेफ़ेरेटिव और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। अध्ययनों से पता चला है पान में विभिन्न प्रकार के कैंसर के खिलाफ कीमो-निवारक क्षमता पाई जाती है.
रोगाणुरोधी कारक | Betel leaf having Anti-microbial properties
इसमें मौजूद वाष्पशील तेल [Essential oil] में जीवाणुरोधी गुण होती है, इसका उपयोग बहुत से फार्मास्युटिकल कंपनी दवा बनाने में करती है. यह ई. कोलाई [Escherichia coli], एस. ऑरियस [Staphylococcus aureus] और एस. एरुगिनोसा [Pseudomonas aeruginosa] जैसे रोगकारक बैक्टीरिया को सफलता पूर्वक रोकने में कारगर होता है.
गैस्ट्रिक अलसर का इलाज़ | Prevent to Gastric ulcer
गैस्ट्रिक अल्सर का इलाज पान चबा कर करना एक प्राचीन पारंपरिक उपाय है. शोध से ज्ञात हुआ है की अल्सर कारक एजेंट आंत की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसे पान की पत्तियां कम करने में सहायता करती है.
इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और पॉलीफेनोल्स में एंटीऑक्सिडेंट और अल्सर-विरोधी गुण होते हैं. यह विषाक्त पदार्थों तथा अन्य परेशानियों के खिलाफ आंत की आंतरिक परत की रक्षा करते है. इस प्रकार समग्र क्षति को कम करते हैं.

घाव भरने में सहायक | Wound Healing
कुछ लैब आधारित अध्ययनों में पाया गया है कि पान [Betel leaf] घाव भरने की प्रक्रिया में मदद करती है। यह जले हुए घावों के मामले में पान के पत्तों का लेप से घाव भरने में सहायक होता है.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के स्तर में वृद्धि से घाव भरने में देरी होती है चूँकि पान एंटीऑक्सिडेंट का एक बड़ा स्रोत है। इसके एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके घाव भरने में मदद करते हैं.
मलेरिया रोधी एजेंट | Anti-malarial Agent
प्राचीन काल में मलेशिया के ग्रामीण क्षेत्रों के पारंपरिक चिकित्सकों के द्वारा पान [Betel leaf] का उपयोग मलेरिया के इलाज़ के लिए करते थे. Terpenes पान में मौजूद स्वास्थ्यवर्धक यौगिकों में से प्रमुख है जो एक कि मलेरिया-रोधी घटक है.
मांसपेशियों को मजबूत करे | Release Muscle Tension
मांसपेशियों के तनाव को कम करने और पोस्ट-वर्कआउट रिकवरी को बढ़ाने के लिए पान की पत्तियों का उपयोग किया जाता है. अक्सर इसे नारियल के तेल में मिलाकर पैरों और पीठ की मालिश किया जाता हैं, जिससे दर्द, लालिमा और सूजन में राहत मिलती है.
अवसाद को ख़त्म करे | Good to Overcome Depression
दुनिया की लगभग 5% आबादी अवसाद जैसे मनोरोग से प्रभावित करता है. शोध के आधार पर पता चला है कि अवसाद रोधी दवाओं के अलावा, हर्बल उपचारों जैसे कि पान [Betel leaf] चबाने से भी निजात पाया जा सकता है.
प्राचीन काल से ही इसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र उत्तेजक के रूप में उपयोग किया जाता रहा है. पान में मौजूद खुशबूदार फेनोलिक यौगिक होते हैं जिससे मानसिक तनाव कम होता है.
पान के साइड इफेक्ट्स | Side Effects of Betel Leaf
हालांकि पान [Betel leaf] सेहत के लिए अच्छा है किन्तु इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी है जिनके बारे में आपको अवश्य पता होना चाहिए:
- यदि बहुत ज्यादा खाया जाता तो मुंह का कैंसर हो सकता है. यह कैंसर का मुख्य कारक है.
- इससे एलर्जी हो सकती है.
- इसका सेवन को मध्यम रूप एक नशे की लत के रूप में देखा जाता है.
- मीठे पान के साइड इफेक्ट्स में से एक यह है कि यह मसूड़ों को परेशान कर सकता है और जब बहुत अधिक चबाते हैं तो यह जबड़े को सख्त कर देता हैं.
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