
Plague: The Hazardous Endemic
Plague [प्लेग] बेसिलस यर्सिनिया पेस्टिस [Bacillus Yersinia pestis] के कारण होने वाली एक स्थानिक [Endemic] और तीव्र संक्रामक बीमारी है और यह अभी भी दक्षिण और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका और मध्य एशिया की कृंतक प्रजाति अर्थात चूहों में पाई जाती है.
महामारी विज्ञान के अनुसार यह प्लेग मानव में पिस्सू [Indian rat flea] जो चूहों जैसे कुतरने वाले जीवों में परजीवी के रूप में पाया जाता है के काटने से फैलता है. पिस्सू [Flea] के प्राथमिक होस्ट काले शहरी चूहे और भूरे रंग के सीवर चूहे होते हैं.
प्लेग अपने न्यूमोनिक रूप में होने पर ही व्यक्ति से व्यक्ति में संचारित होता है। यर्सिनिया पेस्टिस [Yersinia pestis] मनुष्य और जानवरों दोनों के लिए एक बहुत ही घातक रोगजनक जीवाणु है और इसके लिए एंटीबायोटिक्स बनने से पहले इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक थी.

एतिहासिक परिदृश्य | Historical Background of Plague
अब तक के इतिहास में नजर डालें तो प्लेग अब तक तीन बार सन् 541, 1347 और 1894 ई. वी. में विश्व की भयंकर महामारियां रूप दर्ज की गई हैं, जो हर बार राष्ट्रों और महाद्वीपों में इंसानों और जानवरों की विनाशकारी मृत्यु का कारण बनी. हर बार प्लेग ने वैश्विक रूप से सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को अपरिवर्तनीय रूप से बदल दिया.
तीन विनाशकारी प्लेग महामारियों की उत्पत्ति और प्रसार विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और मार्ग से हुई थी. जिसमें सर्वप्रथम सन् 541 ई. का जस्टिनियन प्लेग [Justinian Plague] मध्य अफ्रीका में शुरू हुआ और मिस्र और भूमध्य सागर तक फैल गया।
सन् 1347 ई. की ब्लैक डेथ [The Black Death] की उत्पत्ति एशिया [Asia] में हुई और क्रीमिया [Crimea] और फिर यूरोप [Europe] और रूस [Russia] तक फैल गई।
तीसरी महामारी सन् 1894 ई. में चीन की युन्नान में उत्पन्न हुई, और फिर हांगकांग और भारत में फैल गई फिर तेजी से शेष दुनिया में.
प्लेग के संक्रमण के लक्षण | Mode of Infection
अधिकांश प्लेग महामारी मानव में संक्रमण की शुरुआत लसीका में गाँठों [lymph nodes] का बनना और बड़े पीपदार फोड़े [purulent abscesses] का रूप ले लेने से होती थी, और इसे ब्युबोनिक प्लेग [Bubonic plague] कहा गया. इसी ब्युबोनिक प्लेग को रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र [Centers for Disease Control and Prevention] द्वारा श्रेणी ‘ए’ बायोटेरोरिज़्म एजेंट के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
जब बैक्टेरिमिया [bacteraemia] का अध्ययन किया गया तो इससे रक्त स्त्राव [Haemorrhaging], तेजी से त्वचा का परिगलन [Necrosis of the skin] और रक्तविषण्णता अघात [Septicaemic shock ] अंततः मृत्यु होना पाया गया, यह लक्षण सेप्टिकैमिक प्लेग [Septicaemic plague] का कारण बना.
यही बीमारी रक्त के माध्यम से फेफड़े में फैल गई, तो यह एक बेहद घातक निमोनिया, न्यूमोनिक प्लेग [Pneumonic plague] का कारण बना, और उस रूप में प्लेग सीधे संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंच गया.
जस्टिनियन प्लेग | Justinian Plague
Justinian Plague [जस्टिनियन प्लेग] सन् 541-544 ई. में प्रसारित एक घातक महामारी थी जो कि अब तक के ज्ञात एतिहासिक महामारियों में से प्रथम है. यह बुबोनिक प्लेग का पहला महामारी था, जहां लोगों को विशेषतया बुबोस और सेप्टिसीमिया से पीड़ित पाया गया था.
सन् 541 ई. का यह प्लेग जस्टिनियन प्लेग के नाम से जाना गया. इस प्लेग का नामकरण उस समय बीजान्टिन साम्राज्य [Byzantine Empire] के रोमन सम्राट ‘जस्टिनियन’ के नाम पर रखा गया था.
यह महामारी सन् 540 ई. में अफ्रीका के इथियोपिया [Ethiopia] में उत्पन्न हुई और मिस्र [Egypt] में पेलुसियम [Pelusium] तक फैल गई. इसके बाद यह पश्चिम में अलेक्जेंड्रिया [Alexandria] और पूर्व में गाजा [Gaza], यरुशलम [Jerusalem] और एंटिओक [Antioch] तक फैल गई.
देखते ही देखते यह भूमध्यसागरीय के दोनों ओर समुद्री व्यापारिक मार्गों पर जहाजों में पहुंच गई. सन् 541 ई. की शरद ऋतु तक कॉन्स्टेंटिनोपल [Constantinople] (अब इस्तांबुल) में प्रवेश कर चूका था.

जस्टिनियन प्लेग का वैश्विक प्रभाव | Global Impacts of Justinian Plague
जस्टिनियन महामारी का केंद्र बिंदु कांस्टेंटिनोपल [Constantinople] शहर था, इस शहर में सन् 542 ई. के बसंत तक प्रतिदिन 5,000 मौतों के साथ अपने चरम तक पहुंच गया था. हालांकि कुछ इतिहास विद् के अनुसार मौतों का आंकड़ा अनुमानत: 10,000 व्यक्ति प्रतिदिन तक पहुँच गया था.
कहा जाता है इस शहर की कुल आबादी का एक तिहाई से अधिक की जनसंख्या इस प्लेग से मारी जा चुकी थी. इतने सारे मृत शरीर को दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गयी थी. ईसाई सिद्धांत के अनुसार लाशों को दाह संस्कार के द्वारा नष्ट नहीं किया जा सकता था इसलिए हर तरफ लाशों का ढेर नजर आता था.
अगले तीन वर्षों में इटली, दक्षिणी फ्रांस, राइन घाटी और इबेरिया के माध्यम से प्लेग व्याप्त हो चूका था. साथ ही यह बीमारी डेनमार्क और पश्चिम में आयरलैंड तक और फिर अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया माइनर तक फैल गई. सन् 542 – 546 ई. के बीच इस महामारी से एशिया, अफ्रीका और यूरोप में लगभग 100 मिलियन से भी ज्यादा लोग मारे गए थे.
जस्टिनियन प्लेग का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
| Socio-economic Impacts of Justinian Plague
पश्चिमी देशों में इस महामारी का व्यापक प्रभाव था जिसने यहाँ के सामाजिक ताने-बाने को स्थायी रूप से बदल दिया. जस्टिनियन शासनकाल के पतन में इस प्लेग का ही योगदान था.
इस काल में खाद्य उत्पादन बुरी तरह बाधित हो गया और अगले आठ साल तक भीषण अकाल की स्थिति बनी रही. इस स्थिति से उबरने के लिए इस साम्राज्य की कृषि प्रणाली को तीन क्षेत्र सामंती प्रणाली के आधार पर पुनः संगठित किया गया था.
जस्टिनियन महामारी के कारण होने वाले सामाजिक और आर्थिक व्यवधान ने जस्टिनियन शासन के साथ-साथ रोमन शासन का भी अंत कर दिया. इसी काल खंड में सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट सामाजिक समूहों के जन्म हुआ जिसने बाद में मध्ययुगीन यूरोप के राष्ट्रों का गठन किया.
जस्टिनियन काल के बाद प्लेग की स्थिति | Endemic status after Justinian Era
अगले 200 वर्षों में यूरोप और मध्य पूर्व में प्लेग के और भी बड़े प्रकोप हुए. जिसमें सन् 573, 600, 698 और 747 ई. में कांस्टेंटिनोपल, सन् 669, 683, 698, 713, 732 और 750 ई. में इराक, मिस्र और सीरिया में तथा सन् 686 और 704 ई. में मेसोपोटामिया [Mesopotamia] में प्रमुख थे.
सन् 664 ई. में प्लेग ने पुरे आयरलैंड को तबाह कर दिया था. यूरोप में प्लेग का 8 वीं शताब्दी के मध्य में रुक-रुक कर फैलना जारी रहा और 14 वीं शताब्दी तक एक प्रमुख महामारी के रूप में फिर से सामने नहीं आया.
निष्कर्ष | Conclusion
कोरोना [Covid-19] के तरह ही इतिहास के पन्नों में प्लेग जैसे भयंकर महामारी का आक्रमण दर्ज हुआ है. यह लेख एक छोटा सा प्रयास है उन महामारियों के बारे में जागरूक करने का जो इतिहास में विकराल मानवीय, सामाजिक-आर्थिक और नैतिक मूल्यों की क्षति का कारण बनी.
इसी तरह की कई दूसरी महामारी भी है जो दुनिया को अंत के करीब तक पहुंचा चूका है, जिसके बारे में भी रोचक जानकारी आगामी कुछ लेख में प्रदान की जाएगी.
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